पंचतंत्र की कहानी: घंटीधारी ऊंट – ghanti dhari unt " मंत्री मुस्कराए और बोले - "राजन् ! यदि आपने मुझे भिन्न राह पर न भेजा होता और मैं आपके साथ होता तो अंग भंग के कारण नरभक्षी आपकी बलि न देते, पर मेरी बलि चढ़नी सुनिश्चित थी। इसलिए भगवान जो https://self-improvement-stories48208.mywikiparty.com/1188602/सफलत_क_स_प_र_प_त_कर_no_further_a_mystery