नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥ पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥ तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥ देवन जबहीं जाय पुकारा । तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥ त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥ नासै रोग https://sethbxjpm.illawiki.com/958361/the_5_second_trick_for_lyrics_of_shiv_chalisa