कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते ॥१५॥ तुम उपकार सुग्रीवहिं कीह्ना । तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥ किया उपद्रव तारक भारी । ह्रीं श्रीं क्लीं मेधा प्रभा जीवन ज्योति To possess a deeper knowledge of the devotional hymn, devotees meditate and take up the essence of each https://arthurkqtus.blogginaway.com/23911021/not-known-facts-about-chalisa